Trending Rahul Gandhi राहुल गांधी का राजनीति में प्रवेश


राहुल गांधी के शुरुआती  दिनों में राजनीति में आना नहीं चाहते थे वे  एक आम आमदनी की तरह जीवन जीना चाहते थे।

राहुल गांधी के न्म का 

राहुल गांधी की कहानी की शुरुआत होती
है दिल्ली की इस होली फैमिली हॉस्पिटल से
जहां 19 जून 1970 को राहुल का जन्म हुआ
जन्म के वक्त दादी इंदिरा गांधी
प्रधानमंत्री थी और उन्होंने ही नवजात का नाम राहुल रखा,
राहुल का जन्म परिवार में खुशियों की
सौगात लाया सबसे बड़ी बात यह की राहुल के
जन्म में इंदिरा और सोनिया के बीच की
दूरियां पार्टी थी ।

दरअसल राहुल के जन्म से पहले सोनिया गांधी
का एक बार बार  गर्भपात हुआ था
उसे वक्त योग गुरु धीरेंद्र ब्रह्मचारी
इंदिरा को योग सीखने आते थे
इंदिरा की ज़िद पर सोनिया को भी योग सीखना
पड़ा जबकि प्रेगनेंसी के दौरान वह योग को
लेकर सहज नहीं थी लेकिन राहुल के आगमन ने
घर में माहौल बादल दिया राहुल मां-बाप के
अलावा इंदिरा के चाहते थे इंदिरा को जब
मौका मिलता वो रात में राहुल और प्रियंका
को अपने साथ सुला दी ताकि उनके साथ समय
गुजार  सके
इंदिरा गांधी और सोनिया भी करीब आने लगे ।

इंदिरा गांधी  जी की हत्या के बाद जीवन में प्रभाव


राहुल गांधी महज़ 14 साल के थे जब इंदिरा गांधी
की हत्या हुई ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद
इंदिरा को हत्या की आशंका होने लगी थी
लिहाजा डन स्कूल में पढ़ने भेजें गए राहुल
को पहले ही वापस दिल्ली बुला लिया गया था
बच्चों को ताकि गेट के बाहर ना खली
हत्या से महेश कर दिन पहले इंदिरा राहुल
और प्रियंका को श्रीनगर की एक दिन की
ट्रिप पर ले गई थी जिससे बचपन में राजीव
और संजय को ले जाया करती थी
पहले इंदिरा भुवनेश्वर में भी जब उन्हें
राहुल और प्रियंका के कार की एक्सीडेंट की
खबर मिली हादसा गंभीर नहीं था लेकिन
इंदिरा बच्चों को देखने के लिए रात में ही
घर लोट आई सुबह बच्चों को स्कूल के लिए
विदा किया और फिर चंद मिनट के बाद इंदिरा
गांधी की उनके ही सिख बॉडीगार्ड्स ने
हत्या कर दी ।
राहुल गांधी ने एक इंटरव्यू में कहा था
मैं स्कूल से वापस घर आया और वो जगह अच्छी
जहां मेरी दादी का खून था मेरी दादी को
छलनी करने वाले बेहद सिंह ने मुझे
बैडमिंटन खेलने सिखाया था 31 अक्टूबर 1984
के बाद अगले 5 साल तक राहुल और प्रियंका
स्कूल नहीं गए दरअसल सुरक्षा कर्म से उनकी
होम्स कॉलिंग हुई 12वीं के बाद राहुल भारत
कोट से सेंट स्टीफेंस कॉलेज पहुंचे लेकिन
वहां सिर्फ 1 साल पढ़ने के बाद राहुल
गांधी पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए,
होम स्कूलिंग के दौरान राहुल गांधी का
बहुत वक्त अलग-अलग खेल सीखने हुए बीता
राहुल गांधी अरावली रेंज में शूटिंग का
प्रशिक्षण लिया करते थे जिसके आधार पर
उन्हें भारत कोट में कॉलेज में एडमिशन
मिला
राहुल ने जापानी मार्शल आर्ट की लेवल वन
की ब्लैक बेल्ट हासिल की है
भारत लौट के बाद उन्होंने कुछ महीने
द्रोणाचार्य अवार्ड प्राप्त बॉक्सिंग कोच
आप भारद्वाज से बॉक्सिंग की ट्रेनिंग भी
ली ,राहुल गांधी ने इंटरव्यू में बताया कि मैं एक्सरसाइज करता हूं रनिंग करता हूं,स्विमिंग करता हूं मैं  जापानी मार्शल आर्ट्स में ब्लैक बेल्ट हूं , मगर मेरी जिंदगी में खेल काफी जरूरी है
रहा है और रहेगा ।


राहुल ने एक साल ही गुजर था की राजीव
गांधी की तमिलनाडु की एक चुनावी रैली में
हत्या कर दी गई
राहुल गांधी के लिए यह खबर ऐसा झटका थी
जिससे कभी उभरा नहीं जा सकता था
दरअसल सोनिया राहुल और प्रियंका सबको
राजीव गांधी की सियासत में जान से एतराज
था क्योंकि उन्हें किसी अनहोनी की आश्रम
का थी

पिता राजीव गांधी  की हत्या पर जीवन में प्रभाव


श्रीलंका में जब राजीव गांधी पर हमला हुआ
तभी आज शंका और बलवती हुई लेकिन होनी को
कौन टाल सकता है हां इस हादसे में भारतीय
राजनीति की कहानी में एक नया नाटकीय मोड ए
गया क्योंकि 1991 का चुनाव लाडा तो मंडल- कमंडल के मुद्दे पर गया था लेकिन सत्ता
में आई कांग्रेस सोनिया ने राजनीति में
आने से इनकार कर दिया था लिहाज़ा नए
प्रधानमंत्री नरसिंह राव बने।

राहुल गांधी का राजनीति में आने की हानी


इस बीच राहुल गांधी जब अस्थि विसर्जन के
लिए इलाहाबाद जा रहे थे तब उन्हें पहले
बार राजनीति में उतारने का विचार आया
राहुल ने एक इंटरव्यू में कहा था
मैंने फैसला ले लिया जब मैं अपने पिता की
अस्थियों के साथ ट्रेन से इलाहाबाद गया था
सहयोग से जैसे हमने अप में प्रवेश किया तो
मैंने देखा की बाहर हजारों लोग हमारे साथ
दौड़ रहे हैं उनके चेहरे पर दुख और नुकसान
के भाव थे तब मुझे लगा की अपने पिता के
पुत्र के रूप में मेरी भी कुछ जिम्मेदारी
है, यूं ये हादसा नहीं होता तो क्या राहुल
गांधी राजनीति में नहीं आते यह काल्पनिक
सवाल है लेकिन राहुल की कहानी में उनके
सियासी जुड़ाव में राजीव गांधी की हत्या
ने अहम भूमिका निभाई क्योंकि राजीव की
हत्या के करीब 6 साल बाद सोनिया गांधी ने
कांग्रेस की बागडोर संभाली और फिर कभी
उनके लिए प्रचार करते हुए तो कभी राजनीति
बताते हुए राहुल गांधी धीरे-धीरे राजनीति
में उतरते चले गए इससे पहले 24 अगस्त 1995
को जब सोनिया गांधी ने अमेठी पहुंचकर पहले
बार राजीव गांधी की हत्या की धीमी जांच के
लिए नरसिंह राव सरकार पर सीधा हमला बोला
था तो राहुल उनके साथ थे
राजनीति में आने के पहले राहुल गांधी ने नौकरी की जहां उन्हें अच्छा वेतन मिलता था
लंदन में राहुल विंडी के नाम से काम
करते थे और उनके साथियों को पता नहीं था
की वो भारत के गांधी परिवार के सदस्य
लेकिन नाम बदलने से नियति नहीं बदलती ।

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