रतन टाटा का हुआ
निधन अस्पताल में ली आखिरी
सांस जानिए क्या हुई थी बीमारी दिग्गज
बिजनेसमैन और अरबपति रतन टाटा का देर रात
निधन हो गया यह खबर सुनकर करोड़ों लोगों
की आंखों में आंसू आ गए उन्हें उम्र
संबंधी स्वास्थ्य समस्या होने के चलते
मुंबई के ब्रिज कैंटी अस्पताल में भर्ती
कराया गया था जहां इलाज के दौरान उनका
निधन हो गया बता दें कि 86 साल की उम्र
में उन्होंने अंतिम सांस ली है 7 अक्टूबर
को कुछ परेशानी होने के चलते उन्हें
अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी हालत और
बिगड़ गई और उनका निधन हो गया अब उनके
निधन के बाद वह कितनी संपत्ति छोड़ गए हैं
यह सब जानना चाहते हैं तो आइए आपको बताते
हैं इसके बारे में पहले आपको बता दें कि
रतन टाटा ने मार्च 1991 से दिसंबर 2012 तक
टाटा समूह की अगुवाई की टाटा समूह को
उन्होंने बुलंदियों पर पहुंचाया उन्होंने
टाटा ग्रुप को नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक
बनाने वाली कंपनी बनाया उनके नेतृत्व में
टाटा समूह ने कई बड़ी कंपनियों का
अधिग्रहण भी किया टाटा समूह आज देश के
सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक है
रतन टाटा ने अपने नेतृत्व में टाटा समूह
को एक नई पहचान दिलाई नया नाम दिलाया आज
टाटा ग्रुप की वह अहमियत है जो देश नहीं
बल्कि दुनिया में जानी जाती है उन्होंने
कई बड़ी विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण किया
जिसमें टेटली जगार लैंडरोवर और कोरस जैसी
कंपनियां शामिल हैं उनके नेतृत्व में टाटा
समूह दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से
एक बन गया बता दें कि टाटा ग्रुप का
कारोबार पूरी दुनिया में में फैला हुआ है
घर की रसोई से लेकर आसमान में हवाई जहाज
तक के यह नाम मौजूद है समूह की 100 से
ज्यादा लिस्टेड और अनलिस्टेड कंपनियां हैं
इनका कुल कारोबार 00 अरब डॉलर का है और
बात करें रतन टाटा की संपत्ति के बारे में
तो रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के रतन अपने
पीछे अनुमानित करीब 800 करोड़ रुपए की
संपत्ति छोड़ गए हैं रतन टाटा को उनके
सामाजिक कार्यों के लिए भी जाना जाता था
क्योंकि सबसे बड़े दानवीर उन्हें कहा जाता
था
जी हां रतन टाटा एक ट्रस्ट के चेयरमैन थे
जो शिक्षा स्वास्थ्य और गरीब उन्मूलन जैसे
क्षेत्रों में काम करते थे रतन टाटा को
उनके योगदान के लिए कभी नहीं बुलाया जा
सकता भारत सरकार ने उन्हें पदम विभूषण से
भी सम्मानित किया था बता दें कि दुनिया
में फैले कारोबार को देख उनकी संपत्ति का
यह आंकड़ा आपको कम लग सकता है और इसके
पीछे की वजह बताएं तो उनकी कमाई का एक
बड़ा हिस्सा दान में जाता था रतन टाटा
अपनी दरिया दिल्ली के लिए दुनिया घर में
जाने जाते थे देश के टॉप दानवीर में उनका
नाम शुमार था जो अपनी आमदनी का एक बड़ा
हिस्सा दान कर दिया करते थे बता दें कि यह
दान टाटा ट्रस्ट होल्डिंग कंपनी के तहत
फर्मों द्वारा की गई कुल कमाई का 66 प्र
होता है हर किसी के लिए वह मददगार थे और
2004 में आई सुनामी हो या फिर देश में
कोरोना महामारी का प्रकोप हर समस्या के
समय हर संकट के समय रतन टाटा हमेशा लोगों
के आगे खड़े रहे ना केवल सामाजिक कार्यों
बल्कि आर्थिक तंगी से जूझने वाले छात्रों
को भी वह हमेशा मदद देते रहे उनका ट्रस्ट
ऐसे छात्रों को स्कॉलरशिप देता था जिनमें
जेएन टाटा एंड वमें सर रतन टाटा स्कॉलरशिप
और टाटा स्कॉलरशिप के जरिए उनको मदद दी
जाती थी तो आपको बता दें कि अब व अपने
पीछे करीब 3800 करोड़ रुपए की दौलत छोड़
गए हैं ।